सीएम भूपेश के सुलगते सवाल- झीरम हत्याकांड में किसे बचाना चाहती है केंद्र सरकार, हमें जांच से क्यों रोका?

रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार की भूमिका पर सवाल उठाते हुए सवालों की झड़ी लगा दी, उन्होंने कहा, केंद्र सरकार झीरम घाटी के षड्यंत्र में किसे बचाना चाहती है। आखिर हमें जांच करने से क्यों रोका जा रहा है? सीएम ने कहा, मेरा और कांग्रेस का यह मानना है कि झीरम कांड में षड्यंत्र रचा गया था। हाल ही में जांच आयोग ने समय बढ़ाने को कहा था, अचानक रिपोर्ट बनकर तैयार हो जाना कुछ और ही संकेत देता है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोमवार को संवाददाताओं से चर्चा में कहा, न्यायिक आयोग घटना स्थल पर जाकर जांच नहीं कर सकता। वह काम जांच एजेंसियां करती हैं। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी ने अपनी फाइनल रिपोर्ट सौंप दी थी। हमने चुनावी घोषणा पत्र में झीरम कांड की जांच कराने का वादा किया था। हम सरकार में आए तो एसआईटी का गठन किया। केंद्र सरकार से केस डायरी वापस मांगी। राज्य सरकार ने ही उसे एनआईए को दिया था और एनआईए जांच पूरी कर चुकी थी। अनेक बार पत्राचार के बाद भी, गृहमंत्री के साथ कई बैठकों के बाद भी केंद्र सरकार ने केस वापस नहीं किया। हमें तो न्याय चाहिए। आप जांच नहीं कर सकते तो हमें जांच करने दीजिए। केंद्र सरकार यह केस नहीं दे रही है।

भूपेश ने कहा- भाजपा जानती है षडयंत्रकारी का नाम, इसलिए बचा रही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, घटना के बाद 28 मई 2013 को तीन महीने के लिए बने आयोग का कार्यकाल 20 बार बढ़ाया गया। जून 2021 में हमने उनका कार्यकाल बढ़ाकर अंतिम अवसर दिया था। सितंबर में उनके सचिव का पत्र आया कि जांच अभी अधूरी है। वे समय बढ़ाने की मांग कर रहे थे। इस बीच न्यायमूर्ति प्रशांत मिश्रा का स्थानांतरण हो गया। हमने विधि विभाग से अभिमत मांगा था कि अब हमारे पास आयोग की जांच पूरी करने का क्या विकल्प है। अभी अभिमत नहीं मिला था, अचानक मीडिया के जरिए पता लगा कि रिपोर्ट राज्यपाल को सौंप दी गई है। राजभवन से भी उनके पास इस संबंध में कोई सूचना नहीं मिली है।

सरेंडर नक्सली नेता से बयान नहीं लिया गया मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि केंद्र सरकार आखिर किसको बचाना चाहती है? किस तथ्य को छिपाना चाहती है? सवाल इस बात का है। मुख्यमंत्री ने कहा, एनआईए की जांच कैसे हुई, उसका नमूना यह है कि घटना स्थल पर मौजूद अधिकांश लोगों से कुछ पूछा ही नहीं गया। इसमें राज्यसभा सांसद और महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष फूलोदेवी नेताम जैसे कई लोग हैं। खुद एनआईए कोर्ट ने कहा था, सरेंडर के बाद आंध्र प्रदेश की जेल में बंद नक्सली नेता गुड्सा उसेंडी का बयान लिया जाना चाहिए। उसके बाद भी एनआईए ने आज तक गुड्सा उसेंडी से पूछताछ क्यों नहीं की? एजेंसियों ने क्यों नहीं की इस एंगल से जांच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि केंद्रीय एजेंसियों ने इस मामले में षड्यंत्र के एंगल से जांच क्यों नहीं की? उससे पहले भी कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन का अपहरण हुआ। बाद में भी कई लोगों का नक्सलियों ने अपहरण किया। सरकार ने बातचीत की। उस समय क्या बातचीत हुई, यह तो नहीं पता लेकिन बंधकों को छोड़ा गया। इस सबके होते हुए जब नंदकुमार पटेल और दिनेश पटेल को नक्सली पकड़कर ले गये थे, तो फिर उन्हें गोली क्यों मार दी गई? मुख्यमंत्री ने कहा, झीरम मामले में षड्यंत्र हुआ था। भाजपा, तत्कालीन राज्य सरकार और अभी केंद्र सरकार यह जानती है कि षड्यंत्र किसने किया था। उसको ये लोग बचा रहे हैं।

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